Friday, November 1, 2024

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सांख्य योग का विश्वविख्यात कापिल मठ का वार्षिकोत्सव 21 दिसंबर को, इसी दिन गुफा द्वार पर दर्शन देंगे स्वामी भास्कर अरण्य।

स्वामी भास्कर अरण्य

भारत में सांख्य- योग साधना पर आधारित मधुपुर 52 बीघा स्थित कापिल मठ विश्व प्रसिद्ध साधना स्थल है। 21 दिसंबर को कापिल मठ के 94 वें वार्षिकोत्सव के अवसर पर सद्गुरु स्वामी भाष्कर आरण्य गुफा द्वार दर्शन देंगे। देश विदेश से आए श्रद्धालु सामूहिक पाठ में शामिल होंग। स्वामी भाष्कर अरण्य कहते हैं कहा कि यतो धर्मस्ततो जय: यह नियम प्रसिद्ध है। जहां धर्म है वही जय होती है और जहां अधर्म है वहीं पराजय होती है। जैसे फल से वृक्ष पहचाना जाता है, उसी प्रकार मनुष्य जाति के और भारतीयों का चारों और नैतिक पराजय देखकर निसंदेह विदित होता है कि, उन लोगों में धर्म के नाम पर निश्चय ही अधर्म प्रबल रूप से चल रहा है। इसलिए बंधुगण आपलोगों के जातीय अभ्युदय के ठीक पहले कपिल आदि प्रमुख ऋषियों के द्वारा जो विशुद्ध महान योग धर्म विस्तृत व अनुष्ठित हुए हैं, उन्हें हृदय में धारण करने का प्रयत्न करें। अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह, शौच, संतोष, तप और स्वाध्याय आचरण करें। प्रणव आदि पवित्र मंत्रों से सर्वज्ञ महेश्वर की भावना करें। मैत्री, करुणा, मुदिता और उपेक्षा के द्वारा चित को शुद्ध करें और परम पद कैवल्य की और लक्ष्य स्थिर रखें। ऐसे परम पवित्र धर्म के आचरण से कहीं भी नैतिक पराजय नहीं होगी और प्रतिदिन जो आप लोगों की सुख शांति बढ़ती जा रही है, उसका भी अनुभव कर सकेंगे।

कापिल मुनि

बौद्ध धर्म भी सांख्य- योग पर आधारित
कपिल मुनि केवल्य मोक्ष के सिद्ध थे। सब प्रकार के दुखों से जो एकान्तत: व अत्यन्तत: निवृत्ति है, उसी का नाम केवल्य मोक्ष है। अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य अपरिग्रह , शौच, संतोष इत्यादि विशुद्धशील संपन्न होकर समाधि सिद्ध होने पर और समाधि के द्वारा विवेक पूर्वक महाप्रज्ञा लाभ करने पर, तभी शाश्वती शांति स्वरूप केवल्य मुक्ति में सिद्ध हुआ जाता है। कपिल मुनि सिद्धों में श्रेष्ठ हैं। बौद्ध धर्म भी सांख्य-योग के आधार पर स्थापित है। उत्सव को लेकर मठ को रंग बिरंगे फूलों से सजाया जाएगा। हजारों लोगों के बीच खिचड़ी प्रसाद का वितरण किया जाएगा। बता दें इस मठ में 94 वर्षों से अनवरत सांख्य-योग की साधना चल रही है। कापिल मठ की स्थापना वर्ष 1927- 28 में सांख्य योगाचार्य स्वामी हरिहरानंद आरण्य ने की थी। मठ से सांख्य- योग दर्शन पर अब तक संस्कृत, अंग्रेजी, हिंदी, बांग्ला भाषा में दर्जनों पुस्तकें लिखी जा चुकी है। जिसे यहां के साधकों ने लिखी है। मनुष्य का जन्म दुख का कारण है। मोक्ष ही एकमात्र साधन है। वर्तमान में सद्गुरु स्वामी भाष्कर आरण्य 35 वर्षों से गुफा में रहकर साधनारत हैं।

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