Friday, November 1, 2024

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कोरोना वैक्सीन से पहले साल में टलीं 2 करोड़ मौतें, भारत में बची 42 लाख लोगों की जान|

कोरोना वैक्सीन से पहले साल में टलीं 2 करोड़ मौतें, भारत में बची 42 लाख लोगों की जान|

दुनिया के तमाम देश 2020 के मध्य तक कोरोना वायरस से फैली महामारी से जूझ रहे थे। उस समय सभी बेसब्री से कोरोना के टीके का इंतजार कर रहे थे। रूस ने कोरोना का सबसे पहला टीका ‘स्पुतनिक वी’ को अगस्त में रजिस्टर्ड कराया, और इसके बाद तो वैक्सीन की बाढ़ आ गई। कोरोना वायरस से मुकाबले के लिए मॉडर्ना, फाइजर, एस्ट्राजेनेका और कोवैक्सीन समेत कई टीके उपलब्ध हो गए। अब एक स्टडी में पता चला है कि कोरोना के टीकों ने अपने पहले साल में करीब 2 करोड़ लोगों की जान बचाई। वैक्सीन की वजह से अकेले भारत में 40 लाख से ज्यादा लोगों की जान बची।मॉडल बेस्ड स्टडी का नेतृत्व करने वाले इम्पीरियल कॉलेज, लंदन के ओलिवर वॉटसन ने कहा कि वैक्सीन की सप्लाई में लगातार असमानता देखने को मिली, इसके बावजूद बड़े पैमाने पर मौतों को रोका जा सका। स्टडी के मुताबिक, कोरोना के विभिन्न टीकों ने पहले साल के दौरान करीब 2 करोड़ लोगों की जान बचाई लेकिन अगर इनकी समय से सप्लाई हो जाती तो इससे भी ज्यादा मौतों को रोका जा सकता था। इंग्लैंड में 8 दिसंबर 2020 को एक रिटायर्ड कर्मचारी को पहली डोज दी गई थी, जिसके बाद वैश्विक टीकाकरण अभियान (Global Vaccination Campaign) शुरू हुआ।भारत में 42 लाख, तो अमेरिका में 19 लाख मौतें टल गईं
तबसे लेकर पूरे 2021 तक अगले 12 से ज्यादा महीने में दुनिया में 4.3 अरब लोगों ने वैक्सीन की डोज ली। वॉटसन ने कहा, ‘टीके नहीं होने पर खतरनाक नतीजे होते। निष्कर्ष यह बताते हैं कि अगर हमारे पास ये टीके नहीं होते तो महामारी कितनी बदतर हो सकती थी।’ रिसर्चर्स ने 185 देशों के आंकड़ों का इस्तेमाल करके अनुमान लगाया कि वैक्सीन की वजह से भारत में कोरोना से 42 लाख मौतों को रोका जा सका। वहीं, टीकों ने अमेरिका में 19 लाख, ब्राजील में 10 लाख, फ्रांस में 6.31 लाख और ब्रिटेन में 5.07 लाख लोगों की जान बचाई।

रिसर्च जर्नल ‘लांसेट इंफेक्शियस डिजीज’ में गुरुवार को पब्लिश हुई स्टडी के मुताबिक, अगर WHO यानी कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 2021 के अंत तक 40 पर्सेंट वैक्सिनेशन कवरेज का लक्ष्य पूरा कर लिया होता, तो और 6 लाख मौतों को रोका जा सकता था। स्टडी के मुताबिक, वैक्सीन की वजह से 1.98 करोड़ लोगों की जान बच गई। यह नतीजा इस अनुमान पर आधारित है कि इस दौरान सामान्य से कितनी ज्यादा मौतें हुईं। कोविड-19 के सामने आए मौतों के हिसाब से उसी मॉडल के तहत टीकों की बदौलत 1.44 करोड़ लोगों की जान बच गई।

चीन पर नहीं थी सटीक जानकारी, स्टडी में शामिल नहीं
लंदन के वैज्ञानिकों ने इस स्टडी में चीन को शामिल नहीं किया क्योंकि वहां पर कोविड-19 से हुई मौतों और उसकी आबादी पर महामारी के प्रभाव के बारे में कोई सटीक जानकारी उपलब्ध नहीं है। स्टडी में उन पहलुओं को शामिल नहीं किया गया कि लॉकडाउन या मास्क पहनने के नियमों की वजह से कितने लोगों की जान बचाने में सफलता मिली। मॉडल आधारित एक अन्य रिसर्च ग्रुप का अनुमान है कि टीकों की वजह से 1.63 करोड़ मौतों को टाला गया।
हम सब मानते हैं वैक्सीन ने काफी लोगों की जान बचाई’
मॉडल पर आधारित दूसरी स्टडी सिएटल के ‘इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन’ ने किया है और यह अभी पब्लिश नहीं हुआ है। सिएटल स्थित संस्थान से जुड़े अली मोकदाद ने कहा कि जब मामले बढ़ते हैं तो ज्यादा लोग मास्क पहनते हैं। उन्होंने कहा कि टीके की कमी से 2021 में डेल्टा लहर तेजी से फैली थी। मोकदाद ने कहा, ‘हम वैज्ञानिक के तौर पर संख्या को लेकर असहमत हो सकते हैं, लेकिन हम सब मानते हैं कि कोरोना वैक्सीन ने बहुत लोगों की जान बचाई।’

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