Friday, November 1, 2024

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चार लोगों के खिलाफ दिल्ली के IGI थाने में दर्ज हुआ मामला, चीन से निकला कनेक्शन,

चार लोगों के खिलाफ दिल्ली के IGI थाने में दर्ज हुआ मामला, चीन से निकला कनेक्शन,

चीन में अवैध तरीके से प्रवेश के आरोप में दो वर्ष वहां की जेल में बिताने के बाद लौटे मिजोरम के चार लोगों के खिलाफ आइजीआइ थाना पुलिस ने मामला दर्ज किया है। पुलिस अब यह पता करने में जुटी है कि आरोपित म्यांमार में कैसे दाखिल हुए और और म्यांमार से चीन में फिर कैसे इन्हें प्रवेश मिला। जानकारी के मुताबिक आरोपित लयायुंगी, लल्वामुपई, वनलाल व लाइमिंगथंगा नौ जून को चीन से श्रीलंका के रास्ते नई दिल्ली एयरपोर्ट पर पहुंचे। इन्हें भारतीय दूतावास द्वारा जारी इमरजेंसी सर्टिफिकेट पर यहां लाया गया था।छानबीन के दौरान पता चला कि चारों आरोपित दो वर्ष से चीन की जेल में बंद थे। यह बात जब भारतीय दूतावास को पता चली तो उन्होंने वहां की एजेंसी से संपर्क कर इन्हें भारत लाने का फैसला किया, ताकि यहां नियमों के मुताबिक इनके खिलाफ कार्रवाई की जा सके। पुलिस सूत्रों का कहना है कि चारों आरोपित वर्ष 2019 में चीन जा रहे थे। लेकिन इनके पास पासपोर्ट नहीं था। ऐसे में इन्होंने गैर कानूनी गतिविधि का सहारा लिया।जंगलों के रास्ते ये पहले म्यांमार में दाखिल हुए, फिर यहां अपनी पहचान छिपाकर इन्होंने चीन की सीमा से लगते म्यांमार बार्डर को पार करते हुए चीन में प्रवेश किया। इसके पहले कि ये वहां नौकरी ढूंढ पाते, वहां की स्थानीय पुलिस को इनकी भनक लग गई और इन्हें पकड़कर जेल में डाल दिया गया।डॉक्टरों व स्वास्थ्यकर्मियों को भारी पड़ेगा ड्यूटी के दौरान एप्रन नहीं पहनना

दिल्ली सरकार के अस्पतालों में ड्यूटी के दौरान एप्रन नहीं पहनना डाक्टरों व स्वास्थ्य कर्मियों पर भारी पड़ सकता है। दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने सोमवार को सभी अस्पतालों व स्वास्थ्य केंद्रों को आदेश जारी कर कहा है कि ड्यूटी के दौरान सभी डाक्टरों व स्वास्थ्य कर्मियों को एप्रन व निर्धारित यूनिफार्म पहनना आवश्यक है। ऐसा नहीं करने पर विभागीय कार्रवाई की जा सकती है।स्वास्थ्य विभाग ने अपने आदेश में कहा है कि एप्रन व यूनिफार्म के लिए स्वास्थ्य कर्मियों को भत्ता भुगतान किया जाता है, जबकि कई बार यह देखा गया है कि स्वास्थ्य कर्मी एप्रन या निर्धारित पोशाक नहीं पहनते। इसलिए सभी स्वास्थ्य कर्मियों को एप्रन पहनना जरूरी है। इस आदेश का पालन करने की जिम्मेदारी सभी अस्पतालों के चिकित्सा अधीक्षक व निदेशकों की होगी।

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