झारखंड की राजधानी में कोरोना काल में रेमडेसिविर दवाईयों को जीवन रक्षक माना जा रहा था. रांची के शायद ही कोई अस्पताल हैं, जिन्हें सरकार की तरफ से रेमडेसिविर की व्यायल उपलब्ध नहीं करायी गयी हो. झारखंड के औषधि नियंत्रक कार्यालय से राजधानी रांची के 51 अस्पतालों को 27363 रेमडेसिविर के इंजेक्शन उपलब्ध कराये गये. इन अस्पतालों में से 90 फीसदी अस्पतालों को रेमडेसिविर का सही तरीके से उपयोग नहीं करने को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने कार्रवाई शुरू कर दी है. शिवम अस्पताल के खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज करायी गयी है. जसलोक अस्पताल और आलम हॉस्पीटल एवं रीसर्च सेंटर को शोकाउज किया गया है. 18 से अधिक अस्पतालों पर स्वास्थ्य विभाग ने कार्रवाई करने की अनुशंसा कर दी है. डेढ़ दर्जन से अधिक अस्पतालों को संबंधित अंचलों के इंसीडेंट कमांडर और उपायुक्त की तरफ से जवाब मांगा गया है. राजधानी के अधिकतर अस्पताल सरकार की कार्रवाई का नहीं दे रहे जवाब. बताते चलें कि रेमडेसिविर की कालाबाजारी को लेकर हाईकोर्ट में एक मामला भी विचाराधीन है. इस मामले में राजीव सिंह नामक एक व्यक्ति की गिरफ्तारी भी हुई थी.
रेमडीसीविर दवाईयों का सही उपयोग नहीं होने का अंदेशा
औषधि नियंत्रक (ड्रग कंट्रोलर) की रिपोर्ट के अनुसार रेमडेसिविर दवाईयों का सही उपयोग नहीं किया गया. इस बाबत सरकार की तरफ से जितने इंजेक्शन अस्पतालों को उपलब्ध कराये गये थे. उसका क्या हुआ. इस संबंध में सभी अस्पतालों से वांछित प्रतिवेदन मांगते हुए आवश्यक कार्रवाई की जा रही है. पहले शो-कॉज किया जा रहा है. यह स्पष्टीकरण इंसीडेंट कमांडर की रिपोर्ट के आधार पर मांगी जा रही है. सही और स्पष्ट जानकारी नहीं दिये जाने पर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की अनुमति लेकर कार्रवाई की जा रही है.
एक-एक लाख रुपये तक में बेचे गये थे रेमडीसीविर इंजेक्शन
रेमडेसिविर का इंजेक्शन रांची में एक-एक लाख रुपये तक बेचा गया था. रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी मामले में कांके रोड के रहनेवाले राजीव सिंह को पुलिस ने गिरफ्तार किया था. इसके अलावा कई लोगों की संलिप्तता भी सामने आयी थी. इससे संबंधित एक मामला झारखंड हाईकोर्ट में भी विचाराधीन है.
कोरोना के दूसरी लहर में पांच सौ से अधिक लोग सिर्फ रांची में मरे थे
कोरोना के दूसरी लहर में रांची में ही पांच सौ से अधिक लोगों की मौत हुई थी. दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी और रेमडेसिविर दवा की कमी की वजह से अधिकतर अस्पतालों ने मरीजों के मारे जाने की पुष्टि की थी. कोरोना काल में जो संक्रमण और पीड़ित परिवारों की दशा हुई थी, उसे आसानी से भुलाया नहीं जा सकता. यहां बताते चलें कि रांची के नामकुम, हरमू मुक्ति धाम और अन्य जगहों पर एक-एक बार में 20-25 लोगों का अंतिम संस्कार किया जा रहा था, जिनकी मौत कोरोना से हुई थी. कई ऐसे मुहल्लों के परिवार थे, जिनके यहां किसी-न-किसी एक सदस्य अथवा इससे अधिक की मौत कोरोना से हुई थी. यह सब 2021 में हुआ था. उसी समय औषधि नियंत्रक कार्यालय से सभी निजी अस्पतालों, सरकारी अस्पतालों को रेमडेसिविर के इंजेक्शन उपलब्ध कराये गये थे.