मधुपुर
स्थानीय कुंडू बंगला मदर्स इंटरनेशनल अकादमी परिसर में आयोजित श्रीमद् भागवत सप्ताह कथा ज्ञान यज्ञ के छठे दिन कथा का विस्तार से विवेचन करते
हुए आचार्य गोस्वामी मृदुल कृष्ण जी महाराज ने कहा कि प्रभु श्री कृष्ण की मथुरा लीला जीव के हृदयान्धकार को नष्ट कर ज्ञान का विकास करती है। जिस ज्ञान के माध्यम से जीव पूर्ण ब्रम्हा श्रीकृष्ण से साक्षात्कार करता
है। मथुरा लीला प्रसंग का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि परमात्मा श्रीकृष्ण ने अपनी मथुरा लीला में अज्ञान रूपी कंस का उद्धार कर ज्ञान का सम्बर्धन किया। यहाँ तक कि साक्षात् बृहस्पति के शिष्य उद्धव जी के ज्ञान को प्रभु ने गोपियों के द्वारा भक्त्ति का चादर उड़ाकर परिपूर्ण किया। स्वयं परमात्मा श्रीकृष्ण ने अपनी मथुरा लीला में ही गुरू सान्दीपनि के सान्निध्य में चौसठ दिनों तक रहकर ज्ञान प्राप्त किया। प्रभु की मथुरा लीला श्रवण करने मात्र से भक्त्त के हृदय में ज्ञान का उदय होता है।
उन्होंने बताया कि यदि बिद्यार्थी अपने अध्ययन काल में यदि प्रभु की मथुरा लीला को श्रवण करता है तो निश्चित रूप से विद्या के क्षेत्र में उसे अभूतपूर्व सफलता प्राप्त होती है। विशेष महोत्सव के रूप में श्री रूक्मिणी विवाह महोत्सव बहुत ही धूम-धाम से मनाया गया। इस प्रसंग पर विस्तार से व्याख्यान देते हुए आचार्य ने कहा कि श्री रूक्मिणी जी ने अपने जीवन में किये हुए सत्कार का फल केवल प्रभु को ही माँगा। जिसको कि प्रभु श्री द्वारिकाधीश ने स्वयं रूक्मिणी के कुणिनपुर जाकर रूक्मिणी को प्रधान पटरानी बनाकर पूर्ण किया। यह पवित्र प्रसंग हम सबको शिक्षा प्रदान करता है हमें जीवन में किये हुए सत्कार के फल के रूप में प्रभु की ही याचना करनी चाहिए। आज विशेष महोत्सव के रूप में फूल होली महोत्सव विशिष्ट तैयारी एवं हर्षोल्लास के साथ मनाया जायेगा।