राम चन्द्र झा
दुमका-सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय दुमका के सत्र 2016,2017 और 2018 के शोधार्थी छात्र अपनी समस्याओं को लेकर छात्र कल्याण अधिष्ठाता संजय सिंह से मिले। छात्रों ने अपनी समस्याओं का जल्द से जल्द निवारण का अनुरोध किया ।साथ ही छात्रों ने कहा कि अगर एक अगस्त तक उनका रजिस्ट्रेशन से संबंधित प्रक्रिया पूरी नहीं होती है,तो छात्र अनिश्चित काल के लिए विश्वविद्यालय का ताला बंद करेंगे।इस अवसर पर आदिवासी छात्र नेता श्यामदेव हेम्ब्रम, झारखंड छात्र मोर्चा के उपाध्यक्ष सत्यम कुमार , एबीवीपी के पूर्व अध्यक्ष आकाश भारती ने अपनी मांगो को डीएसडब्ल्यू के समक्ष रखा। उन्होंने कहा कि विगत 3 सत्र के छात्र अपना रजिस्ट्रेशन को लेकर जूझ रहे हैं ,छात्रों ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर सौतेलेपन व्यवहार का आरोप लगाया। कहा कि विश्वविद्यालय अभी तक यह निर्णय नहीं कर पाई है की पीएचडी रेगुलेशन 2009 अथवा 2016 किस आधार पर इन छात्रों का रजिस्ट्रेशन किया जाएगा। तीनों सत्र के छात्र अपना कोर्स वर्क पूरा कर रजिस्ट्रेशन और डीआरसी की बाट जोह रहे हैं ।कई बार इसे लेकर विभागीय अधिकारियों को भी पत्र प्रेषित कर सूचित किया गया। बावजूद कार्रवाई अब तक नहीं हो पाई है। जिससे छात्रों का भविष्य अधर में लटका हुआ है। एक और सरकार जहां विश्वविद्यालय शिक्षकों के नियुक्ति को लेकर पीएचडी को अनिवार्य कर दी है। वहीं छात्र इस दुविधा में फंसे हुए हैं कि क्या करें? यह मौका भी निकल गया तो आगे फिर कब तक रिक्त पदों के लिए नियुक्ति निकाली जाएगी इसकी कोई निकट भविष्य में संभावना नहीं है । जिस कारण छात्र चाह रहे हैं जो छात्र जिस सत्र के है उनका रजिस्ट्रेशन उसी सत्र में कर दिया जाए ।जिससे वह जल्द से जल्द समय पर अपने शोध का शोध पत्र जमा कर सकें और उन्हें पीएचडी की डिग्री मिल जाए। जिससे आने वाले असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति प्रक्रिया में सभी छात्र आवेदन करने के लिए योग्य हो। इनमें कई छात्र ऐसे भी हैं जो नेट क्वालीफाई हैं। लेकिन सरकार के नियमावली के तहत अगर पीएचडी नहीं होती है तो वह आवेदन नहीं कर सकते हैं। ऐसे में छात्रों का सीधा आरोप विश्वविद्यालय प्रशासन पर है कि विश्वविद्यालय प्रशासन नहीं चाहता है कि समय पर शोधार्थियों का पीएचडी हो। डीएसडब्ल्यू ने कहा एक-दो दिन के अंदर सिंडिकेट की बैठक होगी जिसमें रजिस्ट्रेशन से संबंधित सभी प्रक्रियाओं पर विचार -विमर्श कर कई ठोस निर्णय लिए जाएंगे। वर्तमान कुलपति के योगदान के लगभग 1 वर्ष हो रहे हैं ,नए कुलपति से शोधार्थी छात्रों को काफी आशाएं थी कि समय पर उनका शोध कार्य पूरा हो जाएगा। क्योंकि निवर्तमान कुलपति के समय में शोध में लेटलतीफी के कारण ही विश्वविद्यालय को नैक के द्वारा C ग्रेड मिला था। लेकिन उसके बाद भी विश्वविद्यालय अपनी खामियों को सुधारने के बजाए खुद उलझा हुआ है ।अब ऐसे में देखना है कि क्या शोधार्थी छात्रों के हित के लिए विश्वविद्यालय की नींद टूटती है या फिर विश्वविद्यालय प्रशासन के मनमाना रवैया के कारण शोधार्थियों को एक अगस्त से अनिश्चित तालाबंदी के लिए बाध्य होना पड़ेगा।मौके पर राकेश कुमार दास,लिली मुर्मू,नाज़ परवीन,विक्की चौधरी,सनातन मुर्मू,ओंकारनाथ चौधरी,हुडिंग मरांडी,प्रदीप गौतम मौजूद थे।