अब से सिर्फ छः भाषा यो में देश के सर्वोच्च न्यायालय की राय दी जायेगी। जिसमे हिन्दी,गुजराती,तेलगु,कन्नड,मराठी तथा असमिया है।
झारखण्ड बंगाली समिति के प्रदेश अध्यक्ष विद्रोह मित्रा ने कहा कि-यह सरासर एक षड्यंत्र के तहत बंगाला भाषा विरोधी कार्य है। ज्ञात हो कि देश मे हिन्दी के बाद अगर सबसे ज्यादा किसी भाषा मे बात की जाती हैं तो वह है बंगाला भाषा। विश्व में बंगाला भाषा चौथे स्थान पर है।अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसी भाषा को सम्मान दिया गया है। विश्व में बंगला ही एक मात्र भाषा है जिसकी स्वीकृति के लिए लोगो ने अपने जीवन कि बलिदानी दी है। और हर साल २१ फरवरी को मातृभाषा दिवस के रूप में पूरे विश्व में मनाया जाता है।
जनसंख्या के आधार पर अगर यह सूची तैयार की गई होगी तो हिन्दी के बाद सबसे ज्यादा अगर किसी भाषा मे बात की जाती हैं तो वह है बंगाला भाषा। असमिया तथा कन्नड भाषा से ज्यादा उर्दू भाषी की संख्या भारत मे है। लेकिन सर्वोच्य नयालय के सूची में उर्दु भाषा को भी दर किनार कर दिया गया है।
ज्ञात हो कि देश की राष्ट्रीय गान इसी भाषा में है जिसे गुरूदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने लिखीं हैं। राष्ट्रीय गीत के रचयिता बंकिमचन्द्र चटर्जी है जो इसी भाषा तथा जाति के लोग हैं।
सबसे ज्यादा नोबेल शान्ति पुरस्कार इसी भाषा के जाति के लोगों को प्राप्त है।फ़िर भी इस भाषा को अवलोकन किया गया है।
सर्वोच्च न्यायालय की निर्णय से बंगाला भाषा भाषीयो मे काफी रोष है।
देश के राष्ट्रपति महोदय तथा महामहिम राज्यपाल को इस विषय से अवगत कराया जाएगा।