मधुपुर-सोमवार को महेंद्र मुनि सरस्वती शिशु विद्या मंदिर में जैन मुनि उपाध्याय श्री महेंद्र कुमार जी प्रथम के महानिर्वाण तिथि पर उन्हें याद करते हुए श्रद्धा सुमन अर्पित किया गया ।इस अवसर पर विद्यालय के सभागार में एक कार्यक्रम आयोजित कर उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर विचार व्यक्त किए गए। कार्यक्रम का शुभारंभ विद्यालय के प्रधानाचार्य शिव कुमार चौधरी के दीप प्रज्वलन एवं पुष्पर्चन के साथ हुआ ।सर्वप्रथम विद्यालय में स्थापित उनकी प्रतिमा पर चंदन की माला पहनाई गई और पारंपरिक ढंग से पूजन किया गया ।सभागार में मुख्य वक्ता विनोद कुमार तिवारी ने बताया कि महेंद्र कुमार जी “प्रथम “का जन्म 27 जुलाई 1930 को राजलदेसर में हुआ था। इनके पिता सोहन लाल दुग्गड और माता विरधी देवी थी। ये अद्भुत प्रतिभा के धनी थे ।उन्होंने विद्यार्थी जीवन में ही 20000 संस्कृत के श्लोक कंठस्थ कर लिए और एक दिन में ही संस्कृत और प्राकृत भाषा में 500 श्लोक की रचना कर दी। इन्होंने जैन मुनि नागराज से 11 वर्ष 2 महीने की उम्र में दीक्षा ली और अणुव्रत आंदोलन से जुड़ गए।
आजीवन उन्होंने अणुव्रत आंदोलन के विकास के लिए काम किया। इन्होंने कैमरे का निर्माण भी किया ,मोतियाबिंद का बिना डॉक्टरी ज्ञान लिए सफल ऑपरेशन भी किया।ये आशु कवि, महान दार्शनिक, शोधकर्ता, समाज सुधारक एवं आध्यात्मिक प्रवचन कर्ता भी थे। सच्चे मायने में ये त्याग, संयम ,करुणा , और सदाचार की प्रतिमूर्ति थे। इनका जीवन सबके लिए अनुकरणीय है। इनका महानिर्वाण 5 अप्रैल 1979 को हुआ । विद्यालय परिवार उनके कृतित्व और व्यक्तित्व का ऋणी है ।कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन शिवनाथ झा ने किया ।इस अवसर पर विद्यालय के सभी आचार्य और कक्षा अष्टम से द्वादश के भैया बहन उपस्थित थे।