Friday, November 1, 2024

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सॉवरन गोल्ड बॉन्ड: महिलाएं सोने में करना चाहती हैं निवेश, तो ये हैं तरीक़े

सोने के जेवर ख़रीदकर वो सिर्फ़ अपने साज़ो-सामान में बढ़ोतरी नहीं करतीं बल्कि एक तरह का निवेश भी करती हैं.

भारत मे सोने में निवेश की परंपरा रही है. सोने को घरों में मुश्किलों का साथी भी माना जाता है. महिलाएं सोने के ज़ेवरों को पहनने के साथ-साथ इमर्जेंसी में मदद के लिए भी संभाल कर रखती हैं.

कोरोना वायरस के दौर में भी सोना एक सुरक्षित विकल्प बनकर समाने आया है. रुपया गिरने पर भी सोने के दाम उछाल पर होते हैं और रुपया उठने पर भी सोना अपनी जगह बनाए रखता है.

लेकिन, पारंपरिक निवेश के तरीक़े यानी ज़ेवरों की ख़रीद के अलावा नए ज़माने के साथ सोने में निवेश के कई और विकल्प भी आ गए हैं.

जैसे मार्च में ही भारतीय रिज़र्व बैंक ने सॉवरन गोल्ड बॉन्ड (एसजीबी) की 12वीं सीरीज़ में निवेश के लिए विकल्प खोल दिया है. आप इसमें एक से पाँच मार्च तक निवेश कर सकते हैं. ऐसे ही और भी तरीक़े हैं जहां आप सोने में पैसा लगा सकते हैं. इनके बारे में आपको विस्तार से बताते हैं.

सॉवरन गोल्ड बॉन्ड

सोने में ही निवेश का एक तरीक़ा है सॉवरन गोल्ड बॉन्ड जिन्हें ख़रीदकर आप ब्याज भी पा सकते हैं.

इसमें आपको फ़िज़िकल रूप में सोना नहीं मिलता जैसे ज़ेवर, सोने के सिक्के या बार. बॉन्ड का मतलब है एक तरह की जमानत यानी कि सरकार आपको आपके निवेश किए गए पैसे की गारंटी दे रही है.

भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) सॉवरन गोल्ड बॉन्ड जारी करता है और इसकी एक तय क़ीमत होती है. इस बार इसकी क़ीमत 4662 रुपये प्रति ग्राम तय की गई है.

एसजीबी आठ साल में मच्योर होता है. मतलब आठ साल बाद सोने का जो भाव होगा उसके अनुसार बॉन्ड वापस करने पर आपको उतनी रक़म मिल जाएगी. साथ ही उस समय मिलने वाले लाभ पर टैक्स भी नहीं लगता है. जैसे आपने एक लाख के बॉन्ड ख़रीदे थे और वापस करने पर डेढ़ लाख मिले तो उस अतिरिक्त 50 हज़ार पर कोई टैक्स नहीं लगेगा.

ये बॉन्ड हर महीने जारी होते हैं और उनकी क़ीमत अलग-अलग होती है. इनका रेट मुंबई आधारित इंडियन बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन तय करती है.

आप ज़रूरत पड़ने पर आठ साल से पहले भी बॉन्ड बेच सकते हैं. लेकिन, पाँच साल से पहले बॉन्ड बेचने से मिलने वाली रक़म पर टैक्स देना पड़ता है.

कैसे ख़रीदें बॉन्ड्स

सरकार द्वारा जारी इन बॉन्ड्स को आप ऑफ़लाइन और ऑनलाइन दोनों तरीक़े से ख़रीदा सकते हैं. ऑफ़लाइन तरीक़े में आप बैंक, एसएचसीआईएल ऑफ़िस, निर्धारित पोस्ट ऑफ़िस और एजेंट्स से फॉर्म लेकर बॉन्ड्स में निवेश कर सकते हैं.

आप आरबीआई की वेबसाइट और बैंकों की ऑनलाइन एप्लिकेशन सुविधा के ज़रिए भी फॉर्म ले सकते हैं. ऑनलाइन ख़रीद में 50 रुपये के छूट दी जाती है.

इसमें एक और अच्छी बात ये है कि हर साल 2.5 प्रतिशत का ब्याज मिलता है. ये ब्याज दो हिस्सों में छह-छह महीनों के अंतराल पर मिलेगा. लेकिन, इस ब्याज पर टैक्स देना होगा. जैसे अगर एक लाख रुपया लगाया तो उस पर 2500 रुपये ब्याज होगा. ये ब्याज आपकी आय में जुड़ जाएगा और इस पर टैक्स लगेगा.

इसमें एक ही नुक़सान है कि अगर किसी को छह महीने बाद ही अपने बॉन्ड बेचने की ज़रूरत पड़ गई है और तब बॉन्ड के रेट कम हैं तब आपको इसे सस्ते भाव पर बेचना पड़ेगा.

एसजीबी में व्यक्तिगत तौर पर एक वित्त वर्ष में एक ग्राम से लेकर अधिकतम चार किलग्राम सोने के लिए निवेश किया जा सकता है. वहीं, ट्रस्ट और ऐसी ही दूसरी इकाइयां 20 किलोग्राम सोने में निवेश कर सकती हैं.

आरडी इनवेस्टमेंट के निदेशक और इनवेस्टमेंट एक्सपर्ट राजेश रोशन बताते हैं कि सॉवरन गोल्ड बॉन्ड फिजिकल गोल्ड की तुलना में अधिक सुरक्षित है. जहां तक शुद्धता की बात है तो इलेक्ट्रॉनिक रूप में होने के कारण ये पूरी तरह शुद्ध होता है जबकि सोने के ज़ेवर आपको पूरे 24 कैरेट पर नहीं मिलते हैं.

फ़िज़िकल गोल्ड

फ़िज़िकल गोल्ड यानी वो सोना जिसे आप छू सकते हैं. इसमें आप सोने के ज़ेवर, सोने के सिक्के या बार ले सकते हैं. सोने के सिक्के या बार आप सुनार के अलावा बैंक से भी ख़रीद सकते हैं.

ज़ेवर के मुक़ाबले सिक्के और बार की ख़रीद में कुछ अंतर होता है. इनमें मेकिंग चार्ज यानी बनाई के शुल्क का अंतर बहुत ज़्यादा होता है.

ज़ेवर का मेकिंग चार्ज 20 से 22 प्रतिशत होता है मतलब एक लाख का सोना ख़रीदने पर आपको बनाई के 20 हज़ार रुपये तक देने होंगे. लेकिन, सिक्के और बार ख़रीदने पर मेकिंग चार्ज दो से चार प्रतिशत तक ही होता है.

इसकी वजह ये है कि ज़ेवर में बारीक काम होता है. उसमें समय और श्रम ज़्यादा लगता है.

लेकिन, जब आप कुछ सालों बाद सोना बेचेंगे तो आपको मेकिंग चार्ज नहीं मिलता है. उस वक़्त के सोने की क़ीमत के हिसाब से आपको पैसे मिल जाएंगे. यहां पर आपको कुछ नुक़सान उठाना पड़ता है.

इसके अलावा फ़िज़िकल गोल्ड की सुरक्षा पर भी ध्यान देना पड़ता है जबकि गोल्ड बॉन्ड या अन्य तरीक़ों में सुरक्षा का मसला नहीं होता.

लेकिन जानकार कहते हैं कि अगर आपको सोना पहनना है तो उसके लिए ज़ेवर ही ख़रीदना ही अच्छा है. वो पहनने और निवेश दोनों की सुविधा देते है. अगर आप सोना में सिर्फ़ निवेश करना चाहते हैं तो फिर दूसरे विकल्प बेहतर होते हैं.

गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फ़ंड्स (ईटीएफ़)

गोल्ड ईटीएफ़ में निवेश शेयर बाज़ार में निवेश से मिलता-जुलता है. ये एक्सचेंज में लिस्ट होता है. जैसे आप शेयर ख़रीदते हैं वैसे ही इसे भी ख़रीद सकते हैं.

इसमें डीमेट अकाउंट खुलवाना ज़रूरी होता है जिसके ज़रिए आप ईटीएफ़ की ख़रीदारी कर सकते हैं. इसमें रोजाना ट्रेड होता है.

कुछ कंपनियां गोल्ड ईटीएफ़ जारी करती हैं, आप उनके ईटीएफ़ ख़रीद सकते हैं. इसकी अंडरलाइन सिक्योरिटी गोल्ड ही होती है. जब आप को ज़रूरत हो या ईटीएफ़ के दाम बढ़े हुए लगें तो आप इन्हें बेच सकते हैं.

इसमें बस एक मुश्किल आती है और वो है लिक्विडिटी यानी आप जिस दिन ईटीएफ़ बेचना चाहेंगे उस दिन वो बिकेगा या नहीं. ये कुछ इस तरह है कि आप सोना बेचना चाह रहे हैं लेकिन कोई ख़रीदने वाला नहीं है.

हालांकि, शेयर में ऐसा बहुत कम होता है. वहां बड़ी कंपनियों में ख़रीदने और बेचने वालों की संख्या इतनी ज़्यादा होती है कि कभी आपको बेचने में दिक्क़त आती ही नहीं है. हां, छोटी कंपनियों में ये दिक्क़त हो सकती है क्योंकि वहां बहुत ज़्यादा ख़रीद बिक्री नहीं होती है.

भारत में गोल्ड ईटीएफ़ बहुत ज़्यादा लोकप्रिय नहीं है. बड़े एडवांस मार्केट जैसे अमरीका में ये काफ़ी प्रचलित है. ऐसे में अगर आपको शेयर बाज़ार में निवेश करना पसंद है तो गोल्ड ईटीएफ चुन सकते हैं.

गोल्ड में निवेश के फ़ायदे

राजेश रोशन कहते हैं, “जब आप निवेश करते हैं तो इसमें विविधता रखते हैं क्योंकि निवेश के हर तरीक़े की अपनी ख़ूबियां और कमियां होती हैं. जैसे शेयर और गोल्ड में भी दाम घटते-बढ़ते रहते हैं. एफडी में भी ब्याज घटना-बढ़ता रहता है.”

“इसलिए माना जाता है कि कुल निवेश का पाँच से दस प्रतिशत गोल्ड में रखना ठीक होता है. बाज़ार गिरने पर भी सोने के दाम बढ़ने लगते हैं. बाज़ार उठने पर भी सोना कभी बहुत नीचे नहीं जाता. इसिलए सोने में जोखिम कम होता है और सुरक्षा ज़्यादा.”

महिलाओं के लिए निवेश के नज़रिए से देखें तो उसमें ऊपरी तौर पर दो वर्ग होते हैं. एक घरेलू महिलाएं जो घर ख़र्च के बाद हुई बचत और कुछ अन्य बचतों से इकट्ठा हुए पैसों को घर में रखने की बजाए निवेश करना चाहती हैं.

इसके अलावा कामकाजी महिलाएं जो अपनी आय के कुछ हिस्से से और पैसे कमाना चाहती हैं.

राजेश रोशन के मुताबिक़ घरेलू महिलाओं के पास अक्सर छोटी बचत होती है. उनके लिए जोखिम लेना आसान नहीं होता. ऐसे में सोने में निवेश उनके लिए एक बेहतर विकल्प होता है. फिर भी अगर वो ज़्यादा जोखिम लेना चाहती हैं तो उनके लिए दूसरे विकल्प भी खुले हैं.

वहीं, कामकाजी महिला की बात करें तो आपका निवेश इस बात पर निर्भर करता है कि आप कितना जोखिम उठा सकती हैं. अगर जोखिम उठाने की क्षमता ज़्यादा है तो ज़्यादा उतार-चढ़ाव वाले निवेश कर सकती हैं. लेकिन, अगर आपको बाज़ार की ज़्यादा जानकारी नहीं है तो छोटे और कम जोखिम वाले निवेश से ही शुरुआत करें.

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