Saturday, November 2, 2024

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जानिए पोंडमैन ऑफ़ इंडिया की कहानी और कैसे दिया उन्होंने तालाबों को नया जीवन

उत्तर प्रदेश के रहने वाले “पोंडमैन” नाम से महशूर रामवीर तँवर का जन्म 14 अप्रैल 1993 को गौतम बुद्ध नगर के डेधा गांव में हुआ था। मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बटेक (b.tech) किया और मटेक (m.tech) करने के साथ ही साथ जॉब भी शुरू कर दी। बता दे की रामवीर ने ग्रेजुएशन की पढाई से साथ गौतम बुद्ध ज़िले में एक अभियान (कैंपेन) शुरू किया “जल चौपाल” जिसका उदेश्य था लोगों को पानी के संरक्षण और प्राकृतिक संसाधनों जैसे तालाब और झीलें को बचाने के लिए जागरूक करना। उनकी वालंटियर की टीम ने सबसे पहले साल 2014 में डाबरा गांव में जलाशय की सफाई करने का काम किया था। किसान के बेटे होने के खातिर रामवीर ये अच्छी तरह समझते है की गांव के लोगो के लिए पानी कितना मह्त्वपूर्ण है। बता दे की “say earth NGO” के फाउंडर रामवीर तँवर वर्तमान समय में पर्यावरणविद एवम विभिन्न कॉरपोरेटस व एनजीओ के साथ कंसल्टेंट की तरह सेवा दे रहे हैं।

फेसबुक पेज

रामवीर ने बताया की उनको जलाशय की सफाई अभियान के लिए और लोगो की जरुरत थी जिसके लिए उन्होंने सोशल मीडिया का सहारा लिया रामवीर का कहना है, “हमारे फेसबुक पेज बूंद-बूंद पानी के अब तक एक लाख से अधिक सदस्य हैं। जब भी हमें लोगों की जरूरत होती है, हम पेज पर घोषणा कर देते हैं और हर बार करीब 100 लोग संरक्षण के काम के लिए पहुंच जाते हैं।”
फेसबुक पेज लिंक : https://www.facebook.com/bundbundpani

जल चौपाल से जन भागीदारी

ग्रामीणों के सहयोग के बिना आप गाँव में जाकर तालाब को पुनर्जीवित नहीं कर सकते। यदि आपने इसे एक ठेकेदार की तरह किया है, तो इसका कोई फायदा नहीं है क्योंकि जिन लोगों के लिए तालाब को पुनर्जीवित किया जा रहा है, अगर उनका सहयोग नहीं लिया जा रहा है और भविष्य में रखरखाव के लिए कोई परियोजना नहीं है, तो अगले साल तालाब आपको उसी हाल में मिलेगा। या कहें कि केवल सरकारी या कॉर्पोरेट धन व्यर्थ जाएगा। इसलिए, तालाब पर काम शुरू होने से पहले, हम जल चौपाल के माध्यम से लोगों का समर्थन और समर्थन पाने की कोशिश करते हैं। ग्यारह या इक्कीस लोगों की एक समिति बनाई जाती है, जिसे काम में आने वाली अड़चनों को दूर करने की जिम्मेदारी दी जाती है। इस तरह से तालाब को आसानी से पुनर्जीवित किया जा सकता है।

सेल्फी विथ पोंड का युथ ने किया समर्थन

आज के सोशल मीडिया के ज़माने में अगर युथ को साथ लाना है तो उन्हें उनके ही प्लेटफार्म पर जोड़ना होगा। प्रधान मंत्री मोदी की सेल्फी विथ डॉटर से रामवीर ने प्रेरणा लेकर उन्होंने भी एक मुहिम चलाई “हैशटैग सेल्फी विथ पोंड”। इस मुहीम के माध्यम से रामवीर का उदेश्य था युथ को तालाबों की वर्तमान स्तिथि से रूबरू करना। उत्तर प्रदेश के एक ज़िले से शुरू होकर ये मुहीम पूरे देशभर में फ़ैल गई। युथ को इस चीज़ का एहसास हुआ की जो तालाब बचपन में सुन्दर दिखते थे आज वो कूड़ादान बन चुके है। रामवीर तंवर जी ने बतया की इस बात चिंतित होकर बहुत लोगो ने उन्हें संपर्क किया और साथ ही साथ जिला प्रसाशन को भी शिकायत लिखी और काफी बड़ी संख्या में शिकायतों के निस्तारण हेतु  कार्यवाही देखी गई।

नेचुरल वेटलैंड फिल्टरेशन सिस्टम का उपयोग

रामवीर से बात चीत के दौरान उन्होंने बताया “हम जैसे सैकड़ो साथी जो तालाबों के लिए कुछ करना चाहते हैं कई बार फाइंडिंग नही मिलने के कारण निराश हो जाते हैं। सामान्य तौर पर गंदे पानी को साफ करने के लिए एसटीपी निर्माण का सुझाव दिया जाता है। लेकिन एसटीपी के लिए करोड़ो रूपये का निर्माण बजट व लाखो रुपये के मेंटेनेस बजट की जरूरत होती है जो कि हमें  कभी नही मिल पाता। गन्दे पानी को तालाब में सीधे गिरने के बजाय हमनें इन्टरसेप्टिंग चैम्बर व मिनी पोंड की मदद से फिल्टरेशन सिस्टम बनाया। इस विधि से पानी पीने या नहाने योग्य तो ट्रीट नही हो पाता लेकिन तालाब में पानी के साथ ऑर्गेनिक वेस्ट जाना बंद हो जाता है। और इसी वजह से दल-दल बनना व इयुट्रोफिकेशन होना कम हो जाता है।”

Ramveer Tanvar : http://www.ramveertanwar.in/

Say Earth NGO website : http://www.sayearth.org/

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