Covishield Vaccine की पहली खेप पहुंची पुणे एयरपोर्ट, दिल्‍ली के लिए रवाना हुई

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मुंबई,। भारत सरकार की मंजूरी के साथ, लोगों तक कोविशील्‍ड वैक्सीन पहुंचाने के काम को गति मिली है। सीरम इंस्टीट्यूट में निर्मित COVID-19 वैक्सीन ‘कोविशील्‍ड’ को 16 जनवरी के वैक्सीन रोलआउट के लिए देश के विभिन्न स्थानों में पुणे एयरपोर्ट से भेजा जा रहा है। पुणे हवाई अड्डे से COVID19 वैक्सीन ‘कोविशिल्ड की पहली उड़ान दिल्ली के लिए रवाना हुई। केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप एस पुरी ने कहा कि आज (मंगलवार) एयर इंडिया, स्पाइसजेट और इंडिगो एयरलाइंस पुणे से दिल्ली, चेन्नई, कोलकाता, गुवाहाटी, शिलांग, अहमदाबाद, हैदराबाद, विजयवाड़ा, भुवनेश्वर, पटना, बैंगलोर, 56.5 लाख खुराक के साथ। 9 को लखनऊ और चंडीगढ़ के लिए उड़ान भरेगी।

बता दें कि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया से पुणे अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट तक वैक्‍सीन के तीन ट्रक पहुंचाये जा चुके हैं। इन ट्रकों में वैक्सीन को 13 उड़ानों द्वारा देश के 13 विभिन्न हिस्सों में पहुंचाया जाएगा। एसबी लॉजिस्टिक के एमडी संदीप भोसले ने कहा कि वैक्सीन की पहली उड़ान देश की राजधानी दिल्ली के लिए रवाना होगी।

एसबी लॉजिस्टिक कंपनी को महाराष्ट्र सहित देश के कई हिस्सों में इन टीकों को भेजने का काम सौंपा गया है। कंपनी अपने रेफ्रिजरेटर ट्रकों के माध्यम से कोरोना वैक्सीन को देश के विभिन्न स्थानों तक पहुंचाएगी। आपको बता दें कि कूल एक्स कंपनी पिछले दस सालों से दवाओं और टीकों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाने के लिए काम कर रही है।

सीरम इंस्टीट्यूट को सरकार से 11 मिलियन खुराक के ऑर्डर मिलते हैं

भारत सरकार की मंजूरी के साथ, पुणे के सीरम संस्थान को 11 मिलियन (10 मिलियन) coviciled टीके का ऑर्डर मिला है। आधिकारिक जानकारी के अनुसार, इस प्रारंभिक कोविशिल्ड वैक्सीन की कीमत 200 रुपये प्रति डोज रखी गई है। ज्ञात हो कि 16 जनवरी से पूरे देश में कोरोना टीकाकरण शुरू किया जा रहा है। डीसीजी द्वारा आपातकालीन उपयोग के लिए दो कोरोना टीके स्वीकृत किए गए हैं। इसमें ऑक्सफोर्ड के कोविशिल्ड और भारत बायोटेक के कोवाक्सिन हैं।

ये वैक्सीन ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका द्वारा विकसित किए गए हैं, जबकि पुणे के सीरम इंस्टीट्यूट ने भारत में इनका उत्पादन किया है। स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि हम वैक्सीन को पीएसयू एचएलएल लाइफकेयर के माध्यम से खरीदेंगे। सरकारी उपयोग के लिए हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (HCQ) भी खरीदा गया था। सरकार अब इसकी खरीद के लिए भारत बायोटेक के साथ एक समझौते पर चर्चा कर रही है।